सकारात्मक सुविचार

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May 21, 2023 - 00:25
Jul 13, 2023 - 22:40
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सकारात्मक सुविचार
PC- pexels.com
सुविचार

" बिना ब्रेक की चलती हुई गाड़ी उस जिंदगी के समान है ।
जिसका अपना कोई उद्देश्य न हो ।
ऐसा मनुष्य भले ही कहीं पहुँच जाए, पर वह वहां नहीं पहुंच सकता । 
जहां तक उसके पहुंचने की क्षमता है ॥
"

सुविचार

"

अधिकतर लोग पहले लड़खड़ाते हैं संघर्ष की आग में खुद को झोंकते हैं ।
और फिर खुद को ना परेशान करके टूटने से बचाते हैं  ।
आगे चलकर जैसे ही आराम मिला उसकी चादर में लिपट कर सो जाते हैं  ।यही बहुतों की असफलता या ठहराव का प्रमुख कारण है ॥ "

लेखक

सुविचार

"  असफल वही होता है जो कुछ नया करता है या कुछ नया करने की सोच रखता है ।
यह कैसे हो सकता है कि बिना तवे पर हाथ रखे यह अनुभव हो जाए कि वह हाथ नहीं रखना है । । "

लेखक

सुविचार

" जिस दिन सीखने की इच्छा मानव में खत्म हो जाती है वास्तव में उसका अस्तित्व भी खत्म सा हो जाता है और सीखने की यही इच्छा ज्यादातर लोगों में मजबूरी में आ रही है यह सबसे बड़ा मानव का धर्म संकट है । "

लेखक

सुविचार

 आज हमारा नजरिया ऐसा कुंठित हो चुका है कि कोई जो हमारी प्रशंसा करें
चाहे वह अपने मतलब के लिए ही, हम बार-बार सुनना चाहते हैं 
परंतु कटु सत्य सुनकर भी उस पर विचार करने की जरूरत ही नहीं समझ आती है 

"

लेखक

सुविचार

" धर्म संकट यह नहीं है कि क्या आप हैं वह तो अतीत का परिणाम है 
परंतु वह जो आप चाहते हैं वाकई वैसा बनने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं या नहीं , महत्व सिर्फ इसी का है। सोचिएगा जरूर...  
"

लेखक

सुविचार

" सिर्फ यकीन करना ही काफी नहीं होता पथ पर कदम तो आगे बढ़ाना ही पड़ता है 
सिर्फ कदम बढ़ाना ही काफी नहीं होता है संघर्ष के लिए तैयार भी होना पड़ता ही है 
सोने की भी कदर तभी होती है जब वह हजारों छोटे का कर एक आकार में परिणित हो जाता है । "

लेखक

सुविचार

" खिलने वाले हर फूल का मुरझा जाना तय है 
परंतु अर्थी पर डाला जायेगा या फिर डोली में,  
यह सिर्फ माली ही तय करता है 
अतः करता पर विश्वास रखिए और अपने कर्म में संलग्न रहिए ।"

लेखक

सुविचार

" दुनिया में कुछ भी होना चमत्कार नहीं है यह सिर्फ इस बात को दर्शाता है कि आपकी जानकारी कितनी सीमित है क्योंकि जो भी आप नहीं जानते हैं और वह होने लगता है तो वह आपको चमत्कार से कम कुछ नहीं लगता और वहीं घटना जानने वाले को साधारण सी प्रतीत होती है ।"

सुविचार

" किसी व्यक्ति, संस्था या देश को आप कितना दे रहे हैं यह जरूर आप पर निर्भर करता है परंतु यह कि आप वापस कितना पाओगे यह शायद उन्हीं पर निर्भर करता है इसलिए गीता में हमेशा सिर्फ देने की बात कही गई है ना कि पानें की।"

    सादर

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