सीख - भगवान राम के जीवन से

Motivation and learning what a common person can get from Lord Ram's Life in various phases of life.

May 5, 2023 - 17:26
Jul 13, 2023 - 22:44
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सीख - भगवान राम के जीवन से
Credit- Internet

भगवान श्री राम के जीवन से सीख

 

राम शब्द अनमोल है जीवन की हर स्थिति में जब दूर दूर तक आशा की एक किरण भी नही होती से लेकर जब हम अत्यंत आह्लादित होते हैं हमारी जिह्वा पर बस एक ही नाम होता हैं वो है-

राम राम राम राम ...... बस राम राम ‘

 

राम का अनुसरण यदि हम ना करे तो फिर ऐसा आदर्श मानव धरा पर दूसरा कौन है जिसका करें। कुछ लोगों का मत हो सकता है राम या ईस्वर जैसी कोई बिभूति का अस्तित्व ही नही है क्यूँकि किसी ने देखा ही नही ,सही हो सकते हैं परंतु क्या जिस इतिहास का हम अध्यन करते है उसको हममे से किसी ने देखा है निस्चित रूप से नहीं ,परंतु सच मानकर उसका अध्यन करते है यदि किसी को धर्म के नाम से नफ़रत हो तो निम्नवत रूप में भी आदर्श मानकर उनका अनुसरण कर सकता है-

 

1.     एक ऐसा बेटा पिता के अपने मुखारविंदु से कहे बिना ही सिर्फ़ उनकी इच्छा जानकर ही उनकी अनकही बात का अनुसरण किया जिससे पिता के बचन की मर्यादा बनी रहे ऐसा पित्रप्रेमी बिरला ही हो होता है

 

2.     एक ऐसा भाई जिसने अपने छोटे भाई के इतने बड़े साम्राज्य का इस कफ़र त्याग कर दिया जैसे की कोई तिनका हो और उनका यह वाक्य -“ सुख और दुःख मन की अवस्था का नाम है हे माते मैंने तो अपना ध्यान बन में मिलने वाले सूखो की तरफ़ आकर्षित कर भी लिया है” हर आदमी जो कभी girfriendतो कभी wife, तो कभी business तो कभी पड़ोसी तो कभी ख़राब posting तथा जीवन के उन अनजान तथ्यों से परेसान हो जाता है जिनका दीर्घकाल मे कोई मतलब ही नही रहता है अंत में सिर्फ़ वही याद रहेगा जीवन में कितनी समस्यावो का हमने सामना किया क्यूँकि हर समस्या सम्भावना का एक द्वार लाती है

 

 

3.     “ हे पुत्र पुत्र ही रहे माता रहे कुमाता -राम धारी सिंह दिनकर “ पुत्र ऐसा जैसा हर माता पाना चाहती है और अपने बच्चे का नाम राम रख देती है एक माता जो बनवास का कारण हो जिनकी वजह से दर दर भटकना पड़ा हो किसी को उस माँ के क्षमा मागने पर जो उत्तर राम ने दिया उसने राम को आदर्श पुरुष बनया “ माते क्षमा का तो प्रसन कहाँ है मैं तो आपको दोषी मानता ही नही हु यह सब तो सब समय का खेल है जो मानव को माध्यम बनाकर ऐसी घटनावो को जन्म देता है” वही आज का मानब तो छोटी सी बातो पर रिस्तो को खो देते हैं तो राम जैसा बनने हेतु राम जैसा त्याज परम अनिवार्य है

 

4.     एक पति के रूप में राम ka वकतब्य - “हे सीते राम चाहे राजमहल में रहे या कुशा के आशन पर , तुम्हारा स्थान हमेंशा राम के हृदय मे रहेगा “ ऐसे वक्तब्य किसी साधरण मानव को स्वतः महान नही बना देगाइसकी असल प्रमाणिकता तब सिद्ध हुई जब अस्वमेध यज्ञ में सीता के ना होने का प्रसन आया raaja थे अनेको रानियो ka प्रचलन था और ऐसा वो भी कर सकते थे परंतु ना करके पतिवत धर्म का पालन किया

 

5.     कम से कम मे बड़ी से बड़ी चीज़ों को कैसे पाया जा skta है इसके ब्रांडहैं राम , एक कुशल सेनापति हैं जिन्होंने ना तो पैसा था नाकोई बड़ी सेना, जो थी भी वो बानर औ भलवो की थी ऐसे मे एक समुंदर पर पुल बाँधना , फिर रावण की इतनी बड़ी सेना का अपने पैदल सैनिकों के साथ संहार करना यह बिना किसी कुशल सेनापति के सम्भव नही है और आज भी low इंवेस्टमेंट में maximum output का सबसे वडा उदाहरण हैं

 

6.     जिस ऊँच नीच , अमीर गरीब की खाई से हम आज भी परेसान है उसका समापान करने वाले हमारे अतीत पुरुष हैं

 

ऐसी अनगिनत गुण जिनका गान हम करते रहते हैं और भगवान राम को मानवता का सबसे आदर्श पुरुष हम पाते हैं याद रखिए “राम जैसा बनने हेतु राम जैसी त्याग, ठहराव , धीरज और सहनसीलता की परीक्षा से हर वक़्त गुजरना पड़ता है तब जबकि समस्त लोक की सक्तिया खुद मेन निहित हो”

 

सादर

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 Note :- उपर्युक्त विचार लेखक के अपने विचार है किसी भी असहिमति या गलती के लिए लेखक को ज़िम्मेदार नही ठहराया जा सकता हैं

 

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